महाराष्ट्र-दिल्ली के बाद मेरठ में मिले 'ब्लैक फंगस' से पीड़ित दो मरीज, एक निजी अस्पताल में चल रहा इलाज
By: Pinki Tue, 11 May 2021 11:48:52
कोविड-19 से ठीक हुए लोगों में म्यूकर माइकोसिस या 'ब्लैक फंगस' के संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। वायरस की तरह फंगस भी कोविड मरीजों पर हावी हे रहे हैं। महराष्ट्र और दिल्ली के बाद मेरठ (Meerut) में ब्लैक फंगस से पीड़ित दो कोविड मरीज़ मिले हैं। दोनों मरीज मुज़फ्फरनगर और बिजनौर के रहने वाले हैं। दोनों मरीजों का इलाज मेरठ के एक निजी अस्पताल में चल रहा है। निजी अस्पताल के डॉक्टर संदीप गर्ग ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि मरीज स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
इससे संक्रमित मरीजों की हो रही मौत
गौरतलब है कि कोरोना संक्रमित मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले दिखने को मिल रहे हैं, जो जानलेवा है। डॉक्टरों के मुताबिक इससे संक्रमित मरीजों की मौत हो रही है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 के रोगियों में म्यूकर माइकोसिस रोग पाया जा रहा है।
डॉ पॉल का कहना है कि संक्रमण म्यूकर नामक कवक के कारण होता है, जो गीली सतहों पर पाया जाता है। काफी हद तक यह उन लोगों को हो रहा है, जिन्हें मधुमेह है। यह उन लोगों में बहुत ही असामान्य है जिन्हें मधुमेह नहीं हैं। कोई बड़ा प्रकोप नहीं है और हम इसकी निगरानी कर रहे हैं।
डॉ पॉल के अनुसार म्यूकरमाइकोसिस अनियंत्रित मधुमेह वाले लोगों पर हमला करता है। यदि मधुमेह का कोई रोगी इम्युनो-सप्रेसिव दवाइयां, स्टेरॉयड ले रहा है, या उसे कैंसर है, तो म्यूकरमाइकोसिस रोग का प्रभाव उस पर अधिक पड़ता है।
डॉ पॉल ने कहा कि इस तरह के रोगियों में इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है, अगर वे गीली सतहों के संपर्क में आते हैं। नेत्र विशेषज्ञों के मुताबिक म्यूकर माइकोसिस या ब्लैक फंगस बीमारी कोविड संक्रमित लोगों का उपचार होने के बाद सामने आ रही है। खासातौर पर उन मरीजों को जो पहले से हाई ब्लड प्रेशर या मधुमेह से पीड़ित हैं। अनियंत्रित मधुमेह की बीमारी वाले लोगों के कोरोना संक्रमित होने पर जरूरत से ज्यादा स्टेरॉयड के इस्तेमाल से ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ जाता है। अब इसका मेरठ में मिलना स्वास्थ्य विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है।
महाराष्ट्र में म्यूकोरमाइकोसिस के मरीजों का होगा मुफ्त इलाज
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने सोमवार को कहा कि म्यूकोरमाइकोसिस के मरीजों का इलाज राज्य सरकार की प्रमुख चिकित्सा बीमा योजना के तहत मुफ्त में किया जाएगा। एक आधिकारिक बयान में टोपे के हवाले से कहा गया है कि म्यूकोरमाइकोसिस रोगियों को महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के तहत कवर किया जाएगा क्योंकि इस कवक संक्रमण से निपटने के लिए जरूरी दवाएं महंगी हैं। बयान के अनुसार उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य योजना के तहत शामिल 1,000 अस्पतालों में ऐसे मरीजों का मुफ्त इलाज किया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि इस बीमारी के लक्षण उन कोविड-19 रोगियों में देखे जा रहे हैं जो मधुमेह से पीड़ित हैं और जिनका मधुमेह नियंत्रण में नहीं है। बयान में कहा गया कि टोपे ने मध्य महाराष्ट्र के जालना में मीडियाकर्मियों के साथ बातचीत करते हुए यह टिप्पणी की।
मंत्री ने कहा कि म्यूकोरमाइकोसिस रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इंजेक्शनों के बारे में शिकायतें हैं कि उन्हें वास्तविक कीमत से अधिक पर बेचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी दरों पर सीमा तय की जाएगी।
सरकार ने जारी की एडवाइजरी
म्यूकर माइकोसिस नाम के फंगस इंफेक्शन के बढ़ते खतरे को देखते हुए अब सरकार ने एडवाइजरी जारी की है। सरकार ने कहा है कि अनदेखी करने से यह इंफेक्शन जानलेवा हो सकता है। इसलिए बचाव के कदम उठाना जरूरी है। स्वास्थ्य मंत्रालय और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) ने इसकी स्क्रीनिंग, डायग्नोसिस और मैनेजमेंट को लेकर प्रमाण आधारित एडवाइजरी जारी की है।
ये हैं कारण
- अनियंत्रित डायबिटीज- स्टेरॉयड के कारण इम्यूनोसप्रेशन
- ज्यादा समय आइसीयू में रहना
लक्षण
- नाक जाम होना, नाक से काला या लाल स्राव होना
- गाल की हड्डी दर्द करना
- चेहरे पर एक तरफ दर्द होना या सूजन आना
- दांत दर्द, दांत टूटना
- जबड़े में दर्द
- दर्द के साथ धुंधला या दोहरा दिखाई देना
- सीने में दर्द और सांस में परेशानी
ऐसे बचें
- धूल भरी जगह पर मास्क लगाकर रहें
- मिट्टी और खाद का काम करते समय शरीर को जूते, ग्लव्स से पूरी तरह ढंककर रखें
- स्क्रब बाथ के जरिये सफाई पर पूरा ध्यान दें
क्या करें?
- खून में शुगर की ज्यादा मात्रा (हाइपरग्लाइसेमिया) नियंत्रित करें
- डायबिटिक लोग और कोरोना से ठीक हुए लोग ब्लड ग्लूकोज पर नजर रखें
- स्टेरॉयड के इस्तेमाल में समय और डोज का पूरा ध्यान रखें
- एंटीबायोटिक और एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल ध्यान से करें
क्या न करें?
- लक्षणों की अनदेखी न करें
- फंगस इंफेक्शन का पता लगाने के लिए जांच कराने में न हिचकिचाएं
- समय पर इलाज जरूरी है, इसलिए वक्त न गंवाएं
- पता चलने के बाद इन बातों का रखें ध्यान
- डायबिटीज को कंट्रोल रखें
- स्टेरॉयड लेते हैं तो मात्रा कम करें और जल्द ही इस्तेमाल रोक दें
- इम्यूनोमॉड्यूलेटिंग दवाओं का इस्तेमाल रोक दें
- अन्य जरूरी मेडिकल ट्रीटमेंट से जुड़े कदम उठाएं
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